अकेले ही मन लगता है
ना अपेक्षाओं का बोझ, ना किसी की उपेक्षाओं का डर, ना दिल दुखने का दर्द, ना दुखाने का बोध, ना किसी की झक झक, ना अपनी बक बक - सुनने का मन करता है , हां ! मुझे अकेले ही मन लगता है ।| देखूं मैं बादलों का रुख, या गिनूं मैं तारे, महसूस करूं मैं हवा की ठंडक, या फिर गर्म हवा के झोंके , बातें करूं मैं खुद स…