लो मिल गया खज़ाना!!
चलते  चलते  राह  में  एक  बक्सा  मिल  गया सोचा शायद आज ढेर सारी दौलत पा गया पहले घबराया, इधर उधर देखा, फिर खोला तो उसमें कुछ अलग सा सामान पाया पहले तो समझ नहीं आया आँखें चौंधियाँ गयी, दिमाग पहचान ना पाया लगता था वह सोने से भी कीमती, हीरे से मूल्यवान थोड़ा और टटोला, सूंघा भी हाथ में लेकर पर खुश्बू भी…
ज़िन्दगी
वक़्त के हिसाब से ढलना सीख जाते हैं,  ए किस्मत तू दे कितने भी ज़ख्म, हम उबरना सीख जाते हैं | हार कर भी हम संभलना सीख जाते हैं,  नींद में भी ख्वाहिशों के ख्वाब सताते हैं,  निभाने अपने से किया वादा हम,  रोज़ सवेरे फिर निकल जाते हैं | ए किस्मत तू दे कितने भी ज़ख्म  हम उबरना सीख जाते हैं ||
समझ की ही तो बात है
समझ की ही तो बात है,  न हो तो सुधार होता कैसे?  रिश्तों की कड़वाहट मीठी बनती कैसे? प्रेम, भावना, संस्कार को अपनाते, दिल जीतते चलते है | दुनिया की वाहा- वाही से, कदम-दर-कदम आगे बढ़ते है | अपने आप के साथ साथ, ख्याल अपनों का भी तो करते है | इन ऊंचाइयों को छूने में, समझ का ही तो हाथ है, समझ की ही तो बात …