समझ की ही तो बात है

समझ की ही तो बात है, 
न हो तो सुधार होता कैसे? 
रिश्तों की कड़वाहट मीठी बनती कैसे?
प्रेम, भावना, संस्कार को अपनाते,
दिल जीतते चलते है |


दुनिया की वाहा- वाही से,
कदम-दर-कदम आगे बढ़ते है |
अपने आप के साथ साथ,
ख्याल अपनों का भी तो करते है |


इन ऊंचाइयों को छूने में,
समझ का ही तो हाथ है,
समझ की ही तो बात है |