चलते चलते राह में एक बक्सा मिल गया
सोचा शायद आज ढेर सारी दौलत पा गया
पहले घबराया, इधर उधर देखा, फिर खोला
तो उसमें कुछ अलग सा सामान पाया
पहले तो समझ नहीं आया
आँखें चौंधियाँ गयी, दिमाग पहचान ना पाया
लगता था वह सोने से भी कीमती,
हीरे से मूल्यवान
थोड़ा और टटोला, सूंघा भी हाथ में लेकर
पर खुश्बू भी थी अनजान
बस ढेर सारा सा कुछ था..
खैर..बक्सा लेकर घर पहुंचा
सोचा किसी को तो पता होगा
पहुँचते ही पता चला की अब सब है बंद,
ऑफिस, स्कूल, मॉल, सिनेमा...
और हम सब को होना है घर बंद
अब मुद्दा था, क्या करेंगे इतने दिन घर पर
मैं भी सोचने लगा..
और सोचते सोचते आ गयी आँखों में चमक और होठों पर मुस्कान..
चलते चलते राह में इक बक्सा मिला था
था उसमें कुछ अलग सा सामान
सोने से कीमती, हीरे से मूल्यवान
बस ढेर सारा सा था कुछ
खुश्बू भी थी उसकी अनजान....
उसमें था समय..
ढेर सारा समय, अपने लिए, और अपनों के लिए|